सफलता में तत्परता का महत्व (कबीर साहब के शब्दो में)
मित्रों ,जैसा की आप जानते हैं कि कबीर साहब के द्वारा जो भी पक्तियाँ कही गई, उनका महत्व हर समाज में और हर समय में एक जैसा ही रहा है। इस ब्लाँग के माध्यम हम कबीर साहब द्वारा कहे एक दोहे का सामान्य भाव तलाशने का प्रयास करते हैं।
दोहा :- काल करें सो आज कर ,आज करे सो अब।
पल में परलय होत है ,बहुरी करोगे कब।।
शब्दार्थ :- काल - आज के बाद आने वाला अगला दिन।
पल - क्षण भर में ,बहुत ही कम समय में।
परलय - प्रलय ,सब कुछ नष्ट हो जाना।
बहुरी -बहुत से काम ,वह सभी काम जो करना बाकी है।
सामान्य अर्थ :-कबीर साहब उपरोक्त दोहे के माध्यम से जन सामान्य को समझते है कि आप ने जो काम आज के एक दिन बाद अर्थात कल करने का निश्चाय किया है उसे आप को आज कर लेना चहिये और जिस काम को आपने आज के लिए समयवद्ध किया है उसे बिना समय गवाए अभी कर लेना चाहिए, क्यों कि आप को तो बहुत से काम करना है मगर यह दुनियाँ नाशवान है और न जाने कब सब कुछ समाप्त हो जाए अर्थात प्रलय आ जाए इसलिए तत्परता पूर्वक लग कर अपने सभी काम निपटा लो अर्थात आलस्य मत करो।
मित्रों ,कबीर साहब उपरोक्त पँक्ति के माध्यम से मानव जीवन में समय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मनुष्य के कार्यो को समयवद्ध होकर एवं तत्परता पूर्वक करने का उपदेश करते है।
मित्रों ,हम सभी जानते है कि जीवन में समय का कितना महत्व है। कबीर साहब आज से लगभग छः सौ वर्ष पहले इस विषय पर चिन्तन करते है और उसके बारे में उपदेश करते है।
मित्रों ,समय हम सभी के जीवन में एक ऐसा विषय है जिसका उपयोग न हुआ तो आप इसको किसी भी माध्यम से पुनः प्राप्ति नही कर सकेंगे। समय ही है जो हम सभी को एक समान रूप से मिला हुआ है ,आप सब ने अपने जीवन में यह महसूस किया होगा कि हममे से बहुत से लोग अपने समय का खूब सुन्दर तरीके से एवं तत्परता के साथ उपयोग करके जीवन में महान महान लक्ष प्राप्त कर लेते है,परन्तु समाज में ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपने पूरे जिंदगी में कभी भी समय के साथ चलने का प्रयास नही किया और उनके बारे में कहा जा सकता है कि जब अवसर आया तो उनको एहसास हुआ कि समय उनका साथ नही दे रहा है ऐसे लोग फिर केवल पश्चाताप ही करते है।
प्रणाम
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