पर्यावरण - 1
मित्रों, आप सभी को आज-कल पर्यावरण के प्रदुषित होने की खबर यदा-कदा मिल ही जाती होगी। प्रदूषण की समस्या आज के समय में इस धरती वासियों की सबसे बड़ी सार्वजनिक समस्याओं में से एक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वायु प्रदूषण का अंदाजा इस वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर किया जा सकता है कि धूल के कणों और धुए की मात्रा नापने वाला यंत्र ,हवा में इनकी उपस्थिति खतरनाक स्तर पर दर्ज कर रहे है। यह धूल के कणों और धुआँ किसी प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि हम विकसित कहे जाने वाले मानव के कर्मों का परिणाम है।
प्रदूषण का प्रमुख कारण
1.अंधाधुन गति देने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआँ।
2. कूडे ,पत्ते और पराली इत्यादि को निस्तारण हेतु आग लगाने से निकलने वाला धुआँ।
3. प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग।
4. बेतरतिब सड़कों और भवनों का निर्माण कार्य।
5. वृक्षारोपण के प्रति उदासीनता एवं पेड़ पौधों के प्रति कम संवेदनशीलता।
मित्रों, इन्हीं प्रमुख कारणों से आज संपूर्ण प्राणी जगत के लिए प्रदूषण विकट समस्या बनने की स्थिति में आ खड़ा हुआ है, अगर आज हम सब ने प्रदूषण को गंभीरता से नहीं लिया तो निश्चित रूप से समस्त मानव जाति को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।आज विज्ञान के अप्रत्याशित प्रगति के बावजूद हम मानव अपने जीवन शैली और कर्तव्य बोध के प्रति जागरूक नहीं है, मगर अच्छी बात है कि आज संपूर्ण विश्व के विद्वान,वैज्ञानिक एवं राजनेता प्रदूषण को लेकर काफी चिंतित है परन्तु जब तक सामाजिक स्तर पर हर व्यक्ति प्रदूषण को लेकर सचेत नही होगा और अपने क्रियाकलापों में परिवर्तन नहीं लाएगा तब तक किसी भी तरह से प्रदूषण के प्रति हमारी लड़ाई सफल नही होगी , हम सभी को प्रदूषण रोकने के लिए एक विश्व क्रांति की आवश्यकता है। पूरे विश्व में हर व्यक्ति को ,चाहे वह अमीर हो या गरीब, विकसित हो या अविकसित, शिक्षित हो या अशिक्षित हर प्रकार के लोगों को प्रदूषण के प्रति एक विचार धारा में आकर सच्चे मनोयोग से पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बनाने का संकल्प लेना होगा।
मित्रों ,प्रदूषण अगर इसी प्रकार अनियत्रित रहा तो वह दिन दूर नही जब हम मानव अपनी मानवता का दुष्मन बन बैठेंगे। हमें सबसे पहले इस धरा पर सुरक्षित एवं व्यवस्थित जीवन के बारे में विचार करना होगा। हमें प्रदूषण मुक्त जीवन के लिए अपने जीवन शैली में मूलचूल परिवर्तन की आवश्कता हैं।
मित्रों ,प्रदूषण का विषय इतना गंभीर और चिंतनीय हैं इसकी कल्पना हम दुनियाँ भर के डाक्टरों द्वारा किये गए उस शोध से जान सकते हैं जिसमे कहा गया की स्वास सम्बंधित 95 प्रतिशत बीमारी केवल और केवल प्रदूषण की वजह से हो रही है और दुनियाँ के 30 प्रतिशत लोग आज के समय में स्वास रोग से ग्रस्त हैं।
मित्रों, मान लें कि आप दुनियाँ के किसी बहुत ही अच्छे और विकसित स्थान पर रहते है और आप के पास दुनियाँ की हर आधुनिक सुख सुविधाएँ उपलब्ध हैं फिर भी आप श्वाँस तो इसी हवा में लेंगे और अगर हवा स्वच्छ मिल भी जाए तो भी प्रदूषण के प्रभाव से जो जलवायु परिवर्तन हो रहा हैं उसको कैसे नजरअंदाज करेंगे। प्रदूषण के साथ- साथ जलवायु परिवर्तन प्रदूषण से सम्बधित एक ऐसा विषय है जिसके दूरगामी परिणाम को जनसामान्य नहीं समझ सकता। प्रदूषण के प्रति उदासीनता भारत में आप को हर जगह देखने को मिल जाएगी, लोग अपने घर में झाड़ू लगते एवं साफ़-सफाई करते है और कूड़ा सड़को पर डाल देते है,बात यहीं तक नही है झाड़ू लगाते समय कूड़े में जो भी कुछ जलाने के लायक दिखाई देता हैं उसे तुरंत आग लगाकर कर अपने जिम्मेदारी से मुक्त हो जाते है जिसमें कागज़ ,फल-पत्तियों के टुकड़े और प्लास्टिक होना जरूरी है।
हमारे भारतीय पाठक तो यह नज़ारा अक्सर देख लेते होंगे जब नगर निकाय कहे जाने वाले उपनगरों में बड़े-बड़े कूड़ेदानों में ही आग लगी रहती है और कई दिनों तक नहीं बल्कि कई महीनों तक कूड़ेदान से धुआँ निकलता रहता है और मजे की बात तो यह है कि आस-पास के लोग उसमें पानी डाल कर आग बुझाने के बजाए उसमें और कूड़ा डालते रहते हैं ताकि कूड़ा निस्तारण की उनकी व्यक्तिगत समस्या समाप्त हो जाए।
वाहनों का उपयोग :-
मित्रों ,हम सभी को पर्यावरण और प्रदूषण के बारे में निश्चित रूप से गम्भीरता पूर्वक सोचना होगा। हमें साहब-सरकार के नियम और कानून की परवाह किये बगैर स्वयं से हवा में घुलने वाले जहर से को पैदा होने से रोकना होगा। प्राकृति अपना काम तभी करेगी जब हम अपना काम सही तरीके से करेंगे। आज निश्चित रूप से बिना वाहन के प्रयोग के हमारा जीवन असम्भव सा हो जायेगा परन्तु हमें अपनी आवश्यकता के अनुरूप ही वाहनों के प्रयोग के बारे में गम्भीरता से विचार करना होगा, आवश्यकता न होने पर धुआँ देने वाले वाहनों का प्रयोग नही करना चाहिए और यदि धुआँ देने वाले वाहन के अतिरिक्त कोई और विकल्प है तो उसको बढ़ावा देना होगा।
अनुपयोगी प्राकृतिक कचरे का निस्तारण :-
पेड़-पौधों और फसलों से निकलने वाले पत्ते,डंठल,और अन्य उपयोग में न आने वाली चीजों को निस्तारित करने के लिए आग न लगा कर उसे निस्तारित करने का कोई अन्य उपायों पर ध्यान देना होगा। आप सभी को ज्ञात होगा कि पेड़ पौधों और फसलों से निकलने वाले पदार्थो को हम प्राकृतिक खाद/जैविक खाद बनाने में बेहतर उपयोग कर सकते है अतः हमें प्रकृति द्वारा प्रदान किए गए अनुपयोगी सम्पदा को या तो वेहतर उपयोग के बारे में नई समझ से विचार करना होगा या फिर उसे प्राकृतिक तरीके से निस्तारित होने का समय देना होगा।
प्लास्टिक का उपयोग एवं निस्तारण :-
मित्रों, इसी प्रकार से हमें प्लास्टिक का कम से कम प्रयोग करने की बात को भी ध्यान में रखना होगा क्यों कि प्लास्टिक आधुनिक विज्ञान का सबसे सस्ता और सबसे गंदा अविष्कार है क्यों कि इसका निस्तारण किसी प्राकृतिक प्रक्रिया से लगभग असंभव है और सबसे महत्वपूर्ण बात कि उपयोग में सस्ता होने के कारण जनसामान्य की पहुँच में है। कहना न होगा कि प्लास्टिक दुनियाँ का सबसे खराब अप्राकृतिक कचड़े में से एक हैं। हमें यह कहने में संकोच हो रहा है पर आपने अपने भारत के शहरों में कूड़े के ढ़ेर के रूप में प्लास्टिक के अम्बार लगा देखा होगा। दुनियाँ के कई देशो में प्लास्टिक को थैले के रूप में प्रयोग पूर्णतया प्रतिवंधित है मगर भारत में जाने कौन सी मज़बूरी है जो कि भारत में सरकारों ने अब तक इस विषय पर कोई कठोर कदम से बचती रही है। वैसे भी हम लोकतंत्र में जीने वाले लोगों को सरकार से ज्यादा उम्मीद नही रखनी चाहिए और हमें खुद ही प्लास्टिक का प्रयोग कम कर देना चाहिए।
भवन एवं सड़क निर्माण :-
अगली कड़ी में हमें भवन निर्माण के लिए पहाड़ों के तोड़े जाने, जंगलो की कटाई और अप्राकृतिक तरीके से भवनों एवं सड़कों के निर्माण में भी सावधानी बर्तनी होगी। हमें अपने भवनों के निर्माण करते समय ध्यान देना होगा कि स्वयं की जरूरतों के बदले हम प्रकृति का कम से कम नुकसान करें और ज्यादा से ज्यादा प्रकृति के अनुकूल अपने भवनों का निर्माण करवाए क्यों कि हम अपनी सुविधा के अनुरूप विभिन्न प्रकार का अप्राकृतिक निर्माण कार्य लगातार करते जा रहे है ,जो आज और आने वाले दिनों में प्रदूषण का कारण बनता जा रहा है।
वृक्षारोपण एवं प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता :-
अब हम बात करेंगे प्रदूषण से सम्बंधित सबसे प्रमुख विषय पर अर्थात पेड़-पौधों के संबन्ध में। दोस्तों आप सभी जानते है कि पूरे धरती पर अगर हवा को साफ और स्वच्छ रखना हो तो उसके लिए प्राकृतिक यंत्र पेड़-पौधे ही हैं और कोई दूसरा प्राकृतिक उपाय नही है। मगर यह किस प्रकार की बिडंबना है कि जो पेड़ न तो हम से कुछ माँगता है और न ही हमें किसी प्रकार की तकलीफ देता हैं फिर भी हम मानव अपनी आवश्कता एवं अज्ञानता के कारण लगातार पेड़-पौधों को नष्ट करते जा रहे हैं। आप सबको यह जानकर हैरानी होगी कि एक माध्यम दर्जे का पेड़ चार लोगों के एक परिवार के द्वारा किए जाने वाले प्रदूषण को प्रति दिन समाप्त करने कि क्षमता रखता हैंऔर एक बड़ा वृक्ष एक परिवार द्वारा किये जाने वाले समस्त प्रदूषण का नाश कर देता है।
अतः हमें चाहिए कि जिस प्रकार से हम अपनी पारिवारिक आवश्यकताओ को पूरा करने के लिए रात-दिन प्रयास और परिश्रम करते है उसी प्रकार से अपने सम्पूर्ण विश्व रूपी परिवार के लिए प्रदूषण रहित हवा की भी व्यवस्था करने के उद्देश से हम सभी को अपने पूरे जीवन में कम से कम एक पेड़ लगाना चाहिए। केवल वृक्षारोपण ठीक ढंग से हो जाता तो समझिये प्रदूषण की समस्या पूर्णरूप से समाप्त हो जाती।
आपका
मृत्युंजय
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