रातों को नींद नही दिन को चैन नही मित्रों , पिछले ब्लॉक में कर्म पर बात हो रहा था,उसी विषय को आगे ले चलते है, आप सब को यह ज्ञात होगा कि श्रीमद्भगवत गीता का उपदेश महाभारत के युद्ध के प्रारम्भ में हो रहा था। आप कल्पना कर सकते है कि कोई योद्धा अगर युद्ध के मैदान में आकर युद्ध करने से मना करने लगे तो क्या स्थिति पैदा हो जाएगी ? इसी प्रकार हमारे जीवन में भी कई बार दूविधा की स्थिति आ जाती है ,बहुत से कार्य ऐसे होते हैं जिसमें हम सभी काफ़ी गहराई से सोच -बिचार को मजबूर हो जाते हैं और सोचना भी चाहिए परन्तु आप को जब भी इस तरह की स्थिति का सामना करना हो तो सबसे पहले आप जिस किसी को भी अपना इष्ट या भगवान मानते है और जिस भी रूप या स्वरूप में आपका ध्यान लगता हैं एक बार उसे याद करें और अपने भीतर ही भीतर उसके सामने प्रश्न करें ,मैं दावे के साथ कहता हू कि आप को जो भी प्रतिउत्तर मिलेगा आपके लिए वही मार्ग अतिउत्तम होगा।इसका कारण भी आप जान लें आप स्वयं में एक संवेदनशील एवं जीवित पिंड है जो सत्य और असत्य का बहुत सुन्दर मिश्रण से निर्मित है ,सत्य वह जिसकी उपस्थिति मात्र ही आप का जीवन है और जिसकी अनुपस्थिति मात्र से सब कुछ समाप्त अर्थात मृत्यु। जिसके होने से सारी संवेदनाएं है ,जिसका होना आप का होना है और जिसे हिन्दू प्रभु श्री राम ,भगवान कृष्ण, ईसाई लोग प्रभु इशू, मुस्लिम अल्ला और तमाम धर्मो को मानने वाले विभिन्न नमो से पुकारते है आप, हम सभी ईश्वर रूपी सत्य के अंश (छोटे से भाग ) द्वारा निर्मित है। उसी अंश को हम सब अंतरात्मा ,शोल ,रूह और कई नामो से जानते है। जो पूरे जीवन में कभी भी सामान्यतया अपनी उपस्थिति हमें प्रदर्षित नहीं करता लेकिन जब भी हम कभी किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते है तो आवाज़ लगाने पर हमें सही मार्ग दर्शन देता है, जो हम सभी के लिए अतिउत्तम होता है। अतः जब कभी भी आप को कोई चिंता सताने लगे या कोई मुश्किल विषय आपके जीवन में गंभीर विचार का कारण बनने लगे तो आप इस प्रकार प्रार्थना कर समाधान पा सकते है। वैसे भी आवश्यक चिंताए जीवन ऊर्जा का नाश ही करती है।आप सभी स्वयं में प्रसन्न रहने का प्रयास करे ,जो भी संयोग बनता हो उसमें सन्तुष्ट रहने का प्रयास करें और आगे के लिए अपने इष्ट से प्रार्थना करते हुए स्वयं संघर्ष करें।
आपका जीवन सुखमय हो। इसी मंगल कामना के साथ 🙏🙏
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