रातों को नींद नही दिन को चैन नही
मित्रो , आज कई दिनों बाद फिर ब्लागर पर आया हूँ। आज एक नया विषय ले कर आप के लिए समर्पित है ,विषय गम्भीर है अतः आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा। मित्रों हम सभी अपने जीवन में अपने रोजमरा की जिन्दगी में छोटी बड़ी परेशानियों से सामना करते रहते हैं परन्तु कभी -कभी कुछ ऐसी समस्याए आ जाती हैं जो हमारे रातो की नींद और दिन का चैन छीन लेते हैं, ऐसा होने पर किसी भी व्यक्ति पर कहा जाये तो दोहरी मार पड़ती है ,एक तो वह अपने समस्या में खुद ही परेशान होता है दूसरी किसी भी तरह से न चाहते हुए भी वह मानसिक रूप निश्चिंत नही हो पाता है जिसके कारण उसका स्वास्थ भी प्रभावित होता है। अतः इस विषय पर हिन्दू धर्म की धार्मिक पुस्तक श्रीमद्भगवत गीता में उपदेश कर्ता भगवान श्री कृष्ण कहते है--------
" कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाच
कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोअस्तवकर्मणि।। "
इसका अर्थ है कि कर्म करना ही केवल आप के अधिकार में है ,समझने का प्रयास करें कि आप किसी भी काम को केवल और केवल करने का अधिकार रखते और आगे उपदेशित किया गया कि आप जो भी कर्म /काम कर रहे है उसके फल के बारे में चिन्ता करना आप का काम नही है और हम इस बात को थोड़ी और गंभीरता से विचार करें तो हमें यह ज्ञात होगा कि जब हम किसी काम को कर रहे होते हैं तो उस समय अगर कोई भी अन्य विचार हमारे मन- मस्तिष्क में आता हैं तो हमारे काम के प्रति जो पूर्ण सक्षमता /समर्पण है वह कुछ न कुछ तो प्रभावित होगा और वह हमारे काम के परिणाम /फल को प्रभावित करेगा। परिणाम स्वरूप हमें जो भी कर्म फल प्राप्त होगा वह पूर्ण कैसे होगा ,कारण कि जब हमने सौ प्रतिशत दिया ही नही तो हम सौ प्रतिशत की अपेक्षा कैसे कर सकते है। अतः हम पर जब भी किसी भी प्रकार की समस्या आए तो हमें चाहिए कि हम पूर्ण समर्पण और सम्पूर्ण क्षमता के साथ उस काम को करने का प्रयास करें न की इस विचार में लग जाये कि परिणाम क्या होगा। वैसे भी आप चिंतन कर देखेंगे तो आप को यह एहशास होगा कि दुनियाँ में सभी बडे काम करने वाले लोग बिना परिणाम की चिंता किये ,केवल मानवता के नेक उदद्श्यों के लिए निरन्तर प्रयास कर महान खोजो को अंजाम दिया हैं क्रमशः-----
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