अच्छा करो, तो ,अच्छा हो (भाग - 4) मित्रों ,आज हम बात करते है संतुष्टि के बारे में ,जिसके लिए लगभग दुनियाँ के सभी जीव-जन्तु बीकल दिखाई देते है। जीव-जन्तुओं पर हम चर्चा कभी बाद में करेंगे,पर मानव पर चर्चा आज किया जाना जरुरी हैं। दोस्तों हम सभी देखते है कि आज का मानव समाज किस प्रकार से अपने विभिन्न क्रिया कलापों से अपने को संतुष्ट करने का प्रयास करता दिखाई देता है। किसी के पास अगर एक घर है तो वह दूसरे घर के लिए ,किसी के पास एक गाड़ी है तो वह दूसरी गाड़ी के लिए ,कोई एक समय में एक व्यंजन खा लेता है तो दूसरे समय ,दूसरे व्यंजन के लिए परेशान ही दिखाई दे रहा है अर्थात हम कह सकते है कि आज का मानव किसी भी स्थित में संतुष्ट और व्यवस्थित नही दिखाई देता हैं। आप और हम सभी इसी में लगे हुए है कि आज यह मिल जाए तो काम बन जाये परन्तु जैसे ही एक बात बनती कि दूसरी के लिए परेशान हो जाते है और यह क्रम अब टूटने का नाम ही नही लेता। इसलिए अब सायद आप भी यह कहने को विचार कर रहे होंगे कि जीवन का नाम ही असतुष्टि है मगर ऐसा नही है। आप जानते होंगे कि दुनियाँ में जिन महान लोगों के नाम लिया जाता है वह सभी लोग अपने जीवन को केवल संतुष्टी पूर्वक जीया ही नही बल्कि संतुष्टी पूर्वक मृत्यु को भी प्राप्त किया।मित्रों आप सब को याद होये पुरानी कहावत है कि ''अंत भला तो सब भला '' और मैं इसी बात को थोड़ा दूसरे तरीक़े से ,थोड़ा बृहद रूप से कहता हूँ। '' दोस्तों मुझ पर एक एहशान करना मेरे मरने के बाद मेरा एक काम करना। . मुझे अभी कई काम करना है जिंदगी ही नही मौत को भी आसान करना है''। दोस्तों कहने का तात्पर्य यह है कि अगर इस इस दुनियाँ में भगवान ने कुछ करने को भेजा है तो सन्तुलित तरीके से और सयमित हो कर ही करें ताकि कभी भी कोई काम करने के पश्चात जीवन में कभी भी सोचे तो ऐसा न महशूस हो कि कुछ गलत हुआ तभी जाकर आप की पूरी जीवन यात्रा सुख पूर्वक अंत को प्राप्त होगी।
पर्यावरण - 1 मित्रों, आप सभी को आज-कल पर्यावरण के प्रदुषित होने की खबर यदा-कदा मिल ही जाती होगी। प्रदूषण की समस्या आज के समय में इस धरती वासियों की सबसे बड़ी सार्वजनिक समस्याओं में से एक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वायु प्रदूषण का अंदाजा इस वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर किया जा सकता है कि धूल के कणों और धुए की मात्रा नापने वाला यंत्र ,हवा में इनकी उपस्थिति खतरनाक स्तर पर दर्ज कर रहे है। यह धूल के कणों और धुआँ किसी प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि हम विकसित कहे जाने वाले मानव के कर्मों का परिणाम है। प्रदूषण का प्रमुख कारण 1.अंधाधुन गति देने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआँ। 2. कूडे ,पत्ते और पराली इत्यादि को निस्तारण हेतु आग लगाने से निकलने वाला धुआँ। 3. प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग। 4. बेतरतिब सड़कों और भवनों का निर्...
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