जीवन का कठोर सत्य (भाग - 6) 9. जब हम हिंदी का अध्ययन करते है तो कई प्रकार के शब्दों से हमारा परिचय होता है ,इसी क्रम में एक शब्द आता है ''स्व ''इस स्व शब्द से ही स्वस्थ ,स्वाधयाय, स्वार्थ ,स्वयं और स्वभाव इत्यादि शब्द बनते है। आप को शायद ज्ञात हो कि स्व शब्द सबसे पहले गायत्री मंत्र में प्रयोग में आया है।'' ॐ भूर्भुवः स्वः ''यहां यह शब्द शायद महर्षि विश्वामित्र के गायत्री मंत्र लिखे जाने से भी पुराना शब्द रहा होगा।वाक्यों में शब्दों का प्रयोग ही शब्दों के अर्थ को वर्णित करता है अतः स्व शब्द का प्रयोग जिस प्रकार से वाक्यों में किया गया है उससे स्व शब्द का अर्थ खुद अपने से ही लगाया जा सकता है परन्तु और गहराई में जाने पर आप को ज्ञात होगा कि स्व शब्द अंतरात्मा की ओर इशारा कर रहा है। तब जाकर स्व शब्द का सही मायने में अर्थ पूरा होता है। अब विषय आता है एक विशेष शब्द स्वच्छ शब्द का जिसकी चर्चा आज कल भारत भर में भारत सरकार द्वारा खूब किया जा रहा है और मेरा भी मानना है कि किसी भी व्यक्ति ,समाज ,राष्ट्र का सम्मान वहाँ की स्वच्छता पर भी निर्भर करता है। परन्तु हम पहले स्वच्छ शब्द को तो समझ लें अन्यथा हम शब्द की गंभीरता को समझे बिना स्वच्छता को हम सफ़ाई और केवल सफ़ाई ही मान बैठेंगे और यह हो भी रहा है। जब कि वास्तव में शब्द की गम्भीरता आप देखे तो आप को भी महसूस होगा कि स्वच्छ का मतलब जो आप की अंतरआत्मा को अच्छा लगे ,वह सभी कार्य जो आप की अन्तरात्मा को अच्छा लगे स्वच्छता ही हैं जैसे --स्नान [स्वयं को साफ रखना ] ,कपड़ो को साफ़ रखना,दांतो की सफ़ाई एंवम रख-रखाव करना ,अपने घर के लोंगो कभी साफ़-सफ़ाई एवम रहन सहन का ध्यान देना। अपने घर के आस पास की इस तरह साफ़-सफ़ाई करना कि अपनी अन्तरात्मा तक को अच्छा मह्सुस हो.,और यह तब ज्यादा अच्छा महसूस हो गा जब आप अपने स्वच्छता का कार्य अपने आस -पास के लोगों एवम परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करेंगे। ...... jiwan ka kathor satya
पर्यावरण - 1 मित्रों, आप सभी को आज-कल पर्यावरण के प्रदुषित होने की खबर यदा-कदा मिल ही जाती होगी। प्रदूषण की समस्या आज के समय में इस धरती वासियों की सबसे बड़ी सार्वजनिक समस्याओं में से एक है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वायु प्रदूषण का अंदाजा इस वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर किया जा सकता है कि धूल के कणों और धुए की मात्रा नापने वाला यंत्र ,हवा में इनकी उपस्थिति खतरनाक स्तर पर दर्ज कर रहे है। यह धूल के कणों और धुआँ किसी प्राकृतिक कारणों से नहीं बल्कि हम विकसित कहे जाने वाले मानव के कर्मों का परिणाम है। प्रदूषण का प्रमुख कारण 1.अंधाधुन गति देने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआँ। 2. कूडे ,पत्ते और पराली इत्यादि को निस्तारण हेतु आग लगाने से निकलने वाला धुआँ। 3. प्लास्टिक का अनियंत्रित उपयोग। 4. बेतरतिब सड़कों और भवनों का निर्...
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